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एक रंगीला बुड्डा जो भारत को बर्बाद कर गया ….

PLZ EKTA JI DON’T SHOW JHODHA-AKBAR LOVE STORY O
PLZ EKTA JI DON’T SHOW JHODHA-AKBAR LOVE STORY O
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आजादी के बाद देश में लम्बे समय तक केवल कांग्रेस की सरकारें रहीं और उन
सरकारों ने अपने पालतू इतिहासकारों से केवल वही इतिहास लिखवाया, जिससे
गाँधी-नेहरू और कांग्रेस की छवि चमकती हो और उनकी गलतियाँ दबी-ढकी रहती
हों। देश भर के स्कूलों में प्रारम्भ से ही यही इतिहास पढ़ाया जाता रहा
है और यही दुनिया को बताया जाता रहा है। दुनिया तो वही जानेगी, जो उसे
बताया जाएगा। इसलिए यदि गाँधी को संसार ने ‘महात्मा’ और ‘सत्य का पुजारी’
मान लिया तो उनकी कोई गलती नहीं है। इसी प्रकार यदि नेहरू को
संसार ने ‘शान्ति-दूत’ स्वीकार कर लिया, तो यह भी अज्ञान के कारण ही
है। भारतीय संविधान के शिल्पी डा. अम्बेडकर ने अपने एक लेख में लिखा था-
”यदि किसी ऐसे पुरुष को जिसके मुँह में राम और बगल में छुरी हो, महात्मा
की उपाधि दी जा सकती है, तो गाँधी सचमुच महात्मा थे।“ शुरुआत ही गांधी की
उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी ख़ुद लिखा या कहा करते थे कि
उनके अंदर सेक्स.ऑब्सेशन का बीजारोपण किशोरावस्था में हुआ और वह बहुत
कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्र में 12 साल की कस्तूरबा से विवाह होने के
बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे। यहां तक कि उनके पिता कर्मचंद उर्फ
कबा गांधी जब मृत्यु.शैया पर पड़े मौत से जूझ रहे थे उस समय किशोर
मोहनदास पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम में सेक्स का आनंद ले रहे थे।
विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान
मानने लगे थे। सीनियर लीडर जेबी कृपलानी और वल्लभभाई पटेल ने गांधी के
कामुक व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली। यहां तक कि उनके परिवार के
सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी इससे ख़फ़ा थ.
हमारे महात्मा गाँधी जी नंगी लड़कियों के साथ सोते थे वो भी अपनी पोती के
साथ……!!नहीं,नहीं ये कैसे हो सकता…!माना कि उन्हें मुसलमानों से
बहुत लगाव था पर इसका मतलब ये थोडे़ ही होता है कि वो उनके जैसा आचरण भी
करने भी लगें……..!!पर जब उन्होंने ऐसा किया है तो इसमें जरुर उस
महात्मा का कोई महान उद्देश्य छिपा होगा जिसे भला हम मूर्ख छोटबुद्धिया
और पापात्मा भला कहाँ से समझ पाएँगे..इसे समझने के लिए तो भई सत्य और
अहिंसा की शक्ति चाहिए जो सृष्टि-उत्पत्ति से लेकर आज तक सिर्फ़ एक ही
इन्सान गाँधी जी में ही तो दी थी भगवान ने..अब भला जो गुण और
शक्ति(सत्य-अहिंसा की)हमारे भगवत अवतार राम और कृष्ण में भी नहीं था वो
गुण गाँधी जी में था तो ऐसा इन्सान तो भगवान से भी बढ़कर हुआ ना..!!तो
भला ऐसे इन्सान के बारे में तो जरा सा भी कुछ गलत सोचना पाप ही नहीं
बल्कि महापाप होगा.है ना…..? ये बात उस समय की है जब हमारे मुसलमान
भाई पाकिस्तान को भारत से अलग करने के लिए पूरे भारत में हिन्दुओं को
गाजर-मूली की तरह काट रहे थे……….१९४६-१९४७ में नौआखली में वो
हिन्दुओं की खून की नदियाँ बहा रहे थे उन्हें बलपूर्वक मुसलमान बना रहे
थे उनकी स्त्रियों के साथ बलात्कार कर रहे थे और अंग-भंग कर रहे थे,उनके
बच्चे को पटक-पटक कर मार रहे थे,उस समय हमारे महात्मा गाँधी जी वहाँ पर
हिन्दुओं को अहिंसा का मर्म समझाने गए हुए थे.सच्चाई ये थी कि वे
मुसलमानों को बचाने गए थे कि कहीं हिंदु भी बदला लेने के लिए मुसलमानों
का खून ना बहाने लगे…वे हिंदुओं को समझाते थे कि भले ही मुसलामान आप पर
अत्याचार करे पर आप हिंसा का मार्ग मत अपनाना..आखिर ये मुसलमान हम
हिंदुओं के भाई ही तो हैं…इनके हाथों अगर आप मर भी गए तो बहुत बडा़
पुण्य करेंगे और सीधे स्वर्ग पहुँच जाएँगे {०{जिस प्रकार रावण राम के
हाथों मर कर मोक्ष को प्राप्त हुआ था…}०}..अगर ये आपके माँ पत्नी या
बेटियों के साथ संभोग कर रहा है तो क्या हुआ आखिर ये अपने ही तो हैं कोई
पराए थोडे़ हैं,अगर इन्होंने आपके माँ-बेटियों के साथ संभोग कर लिया तो
इससे वे अशुद्ध थोडे़ हो गए वो तो गंगा जैसी पवित्र हो
गयी…………….
आपसब जानते हैं कि हमारे महात्मा दूसरों को वही शिक्षा देते थे जो वो खुद
अपने ऊपर लागू कर लेते थे..यहाँ भी तो वो शिक्षा अपने उपर लागू करी
उन्होंने..वो भी अपने पोतियों के साथ सोते थे आखिर वो उसके अपने दादा जी
जो थे..भई अब अपने तो अपने होते हैं ना……!!!
उस समय नौआखली में जब उनके प्रशंसकों ने देखा कि गाँधी जी जो उस समय ७७
साल के थे अपनी १९ साल की पोती मानू गाँधी के साथ सोए तो पहले तो उनके मन
में भी बुरा विचार आया फ़िर झट से अपने विचार को पवित्र किए और सोचे कि
शायद ठण्ड बहुत ज्यादा है जिसकी वजह से गाँधी जी ने गर्मी के लिए ऐसा
किया पर जैसा मैंने पहले ही बता दिया है कि महात्मा की महान बातें उनके
अलावे और कोई नहीं समझ सकता….तो बापू जी ने खुद सच्चाई से सबको अवगत
कराया कि वो १८-१९ साल की जवान लड़कियों के साथ निर्वस्त्र सोते हैं अपनी
आध्यात्मिक उन्नति के लिए..वो अपने ब्रह्मचर्य के व्रत को परखना चाहते
हैं कि उनमें कितनी क्षमता है अपने आप को नियंत्रित करने की…अपने
विकारों पर विजय प्राप्त करना चाहते थे .वो देखना चाहते थे कि अपने
ब्रह्मचर्य व्रत का वो सिर्फ़ तन से ही नहीं बल्कि मन से भी पालन कर रहे
हैं कि नहीं..यदि वो औरत की बाहों में अपनी रात बिताते हैं और उनके मन
में कोई विकार नहीं आता है तो ये उनकी विषय-विकारों पर विजय प्राप्ति
होगी जिसका मतलब है कि वो पूर्ण संत बन गए…(आखिर जब महात्मा की उपाधि
ले लिए थे तो उसे प्रमाणित करना भी तो जरुरी था ना और ये उनका कर्त्तव्य
भी बनता था,,,तो वो अपने कर्त्तव्य से पीछे क्यों हटते भला))),,,उन्होंने
अपना कर्त्तव्य निभाया मुझे इस बात का दुःख नहीं है,दुःख इस बात का है कि
क्या इन सब बातों के लिए यही समय उचित जान पडा़ उन्हें जब पूरा बंगाल
हिंसा की आग में जल रहा था…निर्मल कुमार बोस जो यूनिवर्सिटी के लेक्चरर
थे उस समय गाँधी जे के लिए दूभाषिए का काम कर रहे थे नौआखली में,उन्होंने
अपनी पुस्तक “my days with Gandhee jee” में इन सब बातों को स्वीकारा
है..उनका कहना था कि वे जिस औरत को अपने साथ सोने के लिए चुनते थे वो औरत
अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझती थी…उसे लगता था कि गाँधी जी का
उसपर बहुत स्नेह है…इन सब बातों से आप ये मत समझ लिजिएगा कि निर्मल जी
उनके आलोचकों में से थे..वे उनके पक्के भक्त थे….और ये तो आप भी समझ
सकते हैं कि वो उनके सच्चे भक्त और काफ़ी नजदीकी रहे होंगे तभी तो इतनी
सारी अंदर की बातें जानते थे….उनके एक और सच्चे भक्त थे जेड एडम्स
जिन्होंने Gandhi:Naked Ambition लिखा है. ..इन्होंने महात्मा जी के अनेक
कार्यों का और उनके जीवन से जुडी़ सैकडों घटनाओं का संग्रह किया है
जिसमें महात्मा जी का खुद का दिया हुआ दो साक्षात्कार भी है.ये समझना
मुश्किल नहीं है कि इतना सब कुछ कोई प्रशंसक ही कर सकता है….एडम्स जी
के अनुसार गाँधी जी अपनी अशिक्षित पत्नी कस्तुरबा गाँधी को बस शारीरिक
सुख देने वाली उपभोग की वस्तु समझते थे और जवान नारियों पर मोहित हुआ
करते थे..सरला देवी चौधरानी,रविन्द्रनाथ टैगोर की भतीजी पर वो फ़िदा थे
जिन्हें वो अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहा करते थे..इसके अलावे सुशीला
नायर,आभा और मानू भी थीं…मजाक में वो अपने आप को बहुपत्नीवादी कहा करते
थे..वो उनलोगों से मसाज करवाते थे,उनलोगों के साथ निर्वस्त्र सोते
थे,बिल्कुल नग्न होकर उनके साथ नहाते थे और चलते भी थे तो उनके कन्धे पर
हाथ रखकर……जब उनके भक्त आश्चर्यचकित होकर उन्हें टोक देते थे तो वो
कहते थे कि वो अपने विकारों को नियंत्रित करने का परीक्षण कर रहे
हैं…एडम्स जी ने गाँधी जी के सोने का भी अजीब तरीका का वर्णन किया
है..उनके अनुसार गाँधी सैन्डवीच तरीका अपनाते थे यानि कि २ नंगी लड़कियों
के बीच में सोते थे..ये तो स्वभाविक ही है क्योंकि ये तो हम अखाडे़ में
भी देखते हैं कि जब कोई पहलवान बहुत ज्यादा बलवान होता है तो वो अपने
शक्ति-परीक्षण के लिए एक साथ २-३ पहलवानों को आमंत्रित करता है..तो हमारे
महात्मा भी तो कोई छोटे-मोटे संत नहीं थे ना..!!!अब आपलोगों के मन में
अगर ये बात आ रही होगी कि ये परीक्षण तो वो अपनी पत्नी पर भी कर सकते थे
तो ये बताने की जरुरत नहीं है कि कस्तुरबा जी उनसे उम्र मेम २ साल की
बडी़ थीं तो आपलोग अंदाजा लगा सकते हैं कि गाँधी के ३० बरस पूरे
होते-होते कस्तुरबा जी का आकर्षण खत्म होने को होगा और गाँधी जी ने तो ये
प्रयोग मरते दम तक जारी रखा था..एक बात और कि गाँधी जी को शुरु से ही
शर्म आती थी कस्तूरबा जी को अपनी पत्नी कहने में…जब वो करीब १८-२० की
उम्र में इंगलैण्ड गए थे वकालत की शिक्षा प्राप्त करने तो वहाँ पर इन्हें
अपने कस्तूरबा के पति होने पर इतनी शर्म आयी कि इस सत्य के देवता को भी
झूठ कहना पड़ गया..इन्होंने सबसे यही कहा कि ये अभी कुँवारे ही हैं..अपने
आप को कुँवारा कहने के पीछे इनका एक स्वार्थ तो ये भी रहा होगा कि वहाँ
की गोरी-गोरी लड़कियाँ इनके पास आने के लिए अपना रास्ता साफ़ (clear)
समझें पर ऐसा कुछ हुआ नहीं…इनको अविवाहित जानकर भी कोई लड़की इनके करीब
नहीं आई तब आ गए ये रास्ते(लाईन) पे और फ़िर अपने सच्चरित्र का ढोल पीटने
लगे……ओबामा से लेकर आइंस्टीन तक पूरी दुनिया जिसकी भक्त है …..और
जो महात्मा राम-कृष्ण से बढ़कर हो उसका भला कौन भक्त नहीं होगा दुनिया
में..एक तरफ़ बेवकूफ़ अत्याचारी और निर्दयी राम जिनपर लाखों देवियाँ
कुर्बान थीं वो एक नारी के लिए समुन्द्र पर उतना भारी पूल बना दिए वो भी
अगर समुन्द्र देवता ना मानते तो पूरा समुन्द्र को सूखाने के लिए ही तैयार
हो गए थे,पूरी लंका को तहस-नहस कर दिए,लाखों राक्षसों का वध कर
दिए,मेघनाद,कुम्भकर्ण जैसे सैकडो़ वीरों को मौत के घाट उतार दिए और अंत
में महाज्यानी,प्रकाण्ड विद्वान पंडित,महा शिवभक्त त्रिलोक विजेता रावण
को भी मार दिए..सिर्फ़ एक औरत के लिए..!!कितना पापी और हिंसक थे राम…और
दूसरी तरफ़ देख लिजिए हमारे सत्य अहिंसा के संत को….!! पचासों लाख
हिन्दुओं को कटवा दिए,कितनी ही स्त्रियों का इज्जत लुटवा दिए फ़िर भी
हिंदुओं को अहिंसा के मार्ग पर चलने की शिक्षा देते रहे…………!
एक और हमारे पापी हिंसक कृष्ण जो समूचे कौरव कुल का ही नाश करवा दिए…जब
अर्जुन अपने दादा जी अपने गुरुजनों अपने सगे-संबंधियों और अपने भाईयों को
मारना नहीं चाह रहा था..वो युद्ध छोड़कर जाना चाह रहा था..वो युद्ध जीतकर
राज्य-सुख लेने के बजाय एक सन्यासी बनकर भिक्षा माँगने को तैयार हो गया
था तो क्या जरुरत थी कृष्ण को १८ दिन तक गीता का उपदेश देने की..ना वो
उपदेश देते ना युद्ध होता और ना इतना बडा़ नर-संहार होता..इस संहार में
तो कृष्ण ने अपने भी समूल कुल-वंश का ही नाश करवा दिया..इस युद्ध से जो
भारतीय संस्कृति और हिंदूओं का विनाश होना शुरु हुआ वो अब तक हो रहा
है….अब आप ही बताइए उस समय अगर हमारे संत गाँधी जी का जन्म हो गया होता
तो ये महा-विनाश रुक ना गया होता…..!!!!!
एक बात मुझे और कहनी है आपलोगों से कि गाँधी जी जो राम-कृष्ण से बढ़कर थे
वो राम-राम जपे ये तो हजम होने वाली बात नहीं है…ये उनके बेवकूफ़ भक्तों
द्वारा उडा़यी गयी अफ़वाहें हैं और मरते वक्त उनके मुँह से “हे राम” निकला
था ये भी उनके अज्यानी भक्तों द्वारा गढी़ गयी मनगढंत बातें हैं…जो खुद
भगवान से बढ़कर हो उसे भला मौक्ष की क्या जरुरत जो मरते वक्त वो भगवान का
नाम लेंगे..वो भी राम और कृष्ण जैसे हिंसक पापी का..!!!मुझे तो पूरा
विश्वास है कि उनके मुह से निकला अंतिम शब्द “हे राम” नहीं बल्कि “हाय
मियाँ” रहा होगा क्योंकि उन्हें हर पल मुसलमानों के भले की ही चिंता लगी
रहती थी..उनकी हर धड़कन बस इनके लिए ही धड़का करती थी…….
उनका दिल भले ही मुसलमानों के लिए धड़कता रहे पर इस लेख में मैंने साबित
कर दिया है कि वो राम-कृष्ण से बढ़कर थे..राम-कृष्ण हिंसक थे जबकि वो
शांतिप्रिय और अहिंसा-प्रेमी थे..उनके दिल में प्रेम का सागर तो इतना
उफ़ान मारता था कि अपने दुश्मनों को भी भिंगोकर सराबोर कर देते थे…..

वत्सल वर्मा ….(स्वतंत्र पत्रकार एवं समाचार संवाददाता /
ब्यूरो चीफ) mob-8542841018

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