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आकर्षण , बेवफाई और तनाव………………..

PLZ EKTA JI DON’T SHOW JHODHA-AKBAR LOVE STORY O
PLZ EKTA JI DON’T SHOW JHODHA-AKBAR LOVE STORY O
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यह एक विवाद का विषय है कि पोर्नोग्राफिक वेबसाईटों पर सर्फिंग करने,
अजनबियों से चैटिंग करने और साइबर-सैक्स के इस्तेमाल करने को बेवफाई माना
जाए या नही। किसी घनिष्ठ सम्बन्ध की मज़बूती विश्वास और वफादारी के साझा
मूल्यों पर टिकी होती है। बेवफाई की समझ कुछ अस्पष्ट है क्योंकि कुछ लोग
“भावनात्मक बेवफाई” को विश्वासघात नहीं मानते जबकि यह वास्तव में होता
विश्वासघात ही है। आपके पार्टनर का किसी अन्य व्यक्ति से शारीरिक और
भावनात्मक लगाव भी बेवफाई है। बेवफाई’ किसी भी लिहाज से अच्‍छी नहीं समझी
जाती है. खास बात यह है कि अगर आपने अपने ही ‘सनम’ के साथ बेवफाई की, तो
आपकी सेहत को भी गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. रिश्ता चाहे कितना भी खुला
हुआ क्यों न हो, उसमें विश्वासघात के लिए जरा भी गुंजाइश नहीं होती है।
ऐसे मामलों में ज्यादातर लोगों का मत है कि यदि आप में अपने साथी के साथ
ईमानदार रहने की कुव्वत नहीं है तो बेहतर है कि आप अकेले ही रहें, आखिर
तो किसी के साथ भावनात्मक रिश्ता रखने के बाद उसे धोखा देकर दुख पहुंचाने
से तो बेहतर है कि आप अपनी पसंद की जिंदगी जिएं बिना किसी को दुख
पहुंचाए।
वैसे तो महिलाएं भी पुरुषों की तरह कई बातों पर झूठ बोलती हैं, खासकर तब
जब वो किसी रिश्ते में होती हैं। वह जिस भी बात पर झूठ बोलती है वो आसानी
से पकड़ में नहीं आता, जबकि पुरुषों का झूठ आसानी से पकड़ में आ जाता है।
वह अपने झूठ से बेचारे पुरुषों को चक्कर में डाल देती हैं। अगर कोई महिला
आपसे यह कह रही है कि उसे आजतक कोई लड़का पंसद नहीं आया है तो यह बात
आमतौर पर झूठ ही होती है, क्योंकि ऐसा काफी कम होता है कि आपको अपने
आस-पास के लोगों में से कोई भी और कभी भी पसंद ना आए। खासतौर पर तब जब आप
स्कूल, कॉलेज से लेकर ऑफिस तक में पुरूष मित्रों से घिरे रहते है।
सदियों से लड़कियों के खिलाफ लड़के एक ऐसी सजा की मांग कर रहे हैं..जिसे
आज तक कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी गई है। इस मुद्दे पर चाहे राजशाही
हो या लोकशाही किसी ने भी कानून बनाने की हिम्मत नहीं जुटाई। जी, मैं बात
कर रहा हूं..लड़कियों की बेवफाई की। जिसके चलते करोड़ों युवाओं की जिंदगी
तमाम हो रही है। बेवफाई की मार ऐसी है कि लाखों बेचारे तो आत्महत्या करना
ही मुनासिब समझते हैं। मेरे मित्र के एक सर्वे में खुलासा हुआ कि 24 घंटे
में अनगिनत लड़कों का दिल टूटता है..और असंख्य लड़के मुर्दे सरीखे हो
जाते हैं। सवाल ये है कि आखिर लड़कियों के इस अत्याचार पर आज तक क्यों
गाज नहीं गिरी? हर जगह महिलाओं को आरक्षण की बात चल रही है। संसद से लेकर
सड़क तक आरक्षण चाहिए…चलिए ठीक है…. माना इन्हें जरूरत है। मेट्रो,
रेल आदि में भी आरक्षण दिया गया कोई आपत्ति नहीं। लेकिन दिल तोड़ने में
तो इन्हें जो जन्मजात कुदरती आरक्षण मिला है उसका क्या? हालात ये हैं कि
इन्हें कुदरती आरक्षण ही नहीं संरक्षण भी मिला हुआ है। जी हां..सामाजिक
संरक्षण और कानूनी संरक्षण दोनो। अगर कोई लड़का किसी लड़की का दिल तोड़
दे तो फिर देखिए। कसम खा के कहता हूं…पूरा समाज लामबंद हो जाएगा। थू-
थू करेगा। मतलबी, फरेबी, बेवफा सनम, दिलफरेब, लौंडियाबाज जैसे तमाम
शब्दों की उपाधि दे दी जाएगी। और लड़की अगर थाने की चौखट तक पहुंच गई तो
थानेदार साहब कितनी धाराएं लगाएंगे कहना मुश्किल है। मसलन शारीरिक शोषण,
मानसिक शोषण, यौन प्रताड़ना का मुकदमा ठुकेगा ही महिला संगठनों की
जुतम-पैजार भी बदन का भूगोल बिगाड़ने के लिए काफी होगा। लेकिन इतिहास
गवाह है..बेचारे लड़कों का दिल तोड़ने की सजा आज तक किसी लड़की को नहीं
दी गई। सबसे बड़ी दुख की बात ये है कि नियम-कानून बनाने वाले पुरूष ही
रहे फिर भी इनकी बेवफाई के खिलाफ कोई कोई कानून नहीं बनाया गया। मैं
समझता हूं.. यहीं चूक हो गई। पुरुष के अलावा किसी नारी से ही संविधान
बनवा दिया जाता तो कसम से धाकड़ कानून बन जाता। क्योंकि मर्द ऐसी प्रजाति
है कि पूछो मत।
VATSAL VERMA (freelancer journalist cum news correspondent
forward press in Kanpur ) Mob- 08542841018

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